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Showing posts from October, 2020

कोरोना काल का औसत मतदान

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बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पहले फेज की वोटिंग समाप्त हो गई। इस दौरान 54.26 फीसद मतदान हुआ। हालांकि जिन सीटों पर संघर्ष अधिक दिख रहा था, वहां वोट पर्सेंट उत्साहजनक नहीं रहे। जहां व्यक्तिगत प्रतिष्ठा फंसी थी, वहां वोटिंग का रेश्यो जरूर ऊपर गया।  शाहाबाद का कैमूर जिला, जहां की चारों सीटें बीजेपी ने 2015 के चुनाव में जीती थीं। वहां चैनपुर और रामगढ़ में सबसे अधिक वोटिंग हुई। चैनपुर तो फर्स्ट फेज में सबसे अधिक वोटिंग वाला सीट बन गया। वहां 63.33 प्रतिशत वोट पड़े। पिछली बार यहां बसपा से कांटे की लड़ाई में भाजपा करीब पौने सात सौ वोटों से जीती थी। हालात दोहराए जाने के संकेत मिल रहे हैं। अगर महागठबंधन के प्रत्याशी को भी जबरदस्त वोट मिले होंगे तो वोट पर्सेंट अधिक होने के बाद भी जीत-हार का अंतर अधिक हो जाएगा। फिर पिछली बार की तरह नजदीकी मुकाबला नहीं रह जाएगा। इसी जिले की दूसरी सीट है, रामगढ़। वहां पिछला चुनाव बीजेपी के अशोक सिंह ने जीता था। इस बार उनके सामने राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह और बसपा से अंबिका यादव हैं। यहां 60 फीसदी वोटिंग हुई है और तीनों उम्मीदवारों...

सॉरी बाबू (साहब) : चुनावी दंगल की क्लियर होने लगी पिक्चर

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बक्सर में सत्ता के लिए लड़ाई 23 अक्टूबर 1764 को लड़ी गई थी। शाहाबाद की इस बार की लड़ाई (वोटिंग) 28 अक्टूबर को लड़ी जाएगी। फोटो गूगल से  चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले तक लड़ाई चीन के मोर्चे पर लड़ी गई, सरकारी नौकरियों और रोजगार के लिए लड़ी गई, पलायन के मसले पर लड़ी गई लेकिन आज शाम होते-होते जिस बयान ने सबसे अधिक जोर पकड़ा, वहा तेजस्वी यादव का था। शाहाबाद क्षेत्र में ही एक चुनावी रैली में तेजस्वी ने कहा कि लालूजी के समय में गरीब लोग बाबू साहेब के सामने सीना तानकर चलते थे। इस बयान के बाद राजद के अधिकतर उम्मीदवारों पर तो असर नहीं पड़ रहा, लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी खुद को फंसा हुआ पा रहे हैं। उधर, नीतीश कुमार ने चुनावी सभा में कहा कि, ‘कुछ लोगों को बेटियों पर तो यकीन ही नहीं था। बेटों की उम्मीद में छह-छह, सात-सात बेटियां पैदा कर दिए‘।  चर्चा है कि ऐसे बयान वोटिंग के टर्निंग पॉइंट साबित हो सकते हैं। प्रचार का दौर खत्म होने के साथ ही शाहाबाद क्षेत्र की 22 विधानसभा सीटों पर स्थिति धीरे-धीरे साफ होने लगी है। जिन सीटों पर एनडीए की ओर से बीजेपी का उम्मीदवार है, वहां लड़ाई-आम...

नोखा के साथ अनोखा खेल

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फोटो - गूगल से कहा जाता है कि सोनाचुर चावल का खेत भी गमकता है और पकने के बाद इसकी खुशबू से मन भी तृप्त हो जाता है। बिहार के रोहतास जिले की चुनावी सभा में शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने कैमूर के सोनाचुर चावल का जिक्र किया। प्रधानमंत्री का यह भाषण लाइव सुनने के लिए नोखा बस स्टैंड के पास बने एनडीए के चुनावी दफ्तर पर मूवेबल स्क्रीन लगाई गई थी। प्रधानमंत्री जहां इस सभा को संबोधित कर रहे थे, वहां से थोड़ी दूर ही है नोखा विधानसभा क्षेत्र।नोखा कभी जाना जाता था अपने राइस मिलों के कारण। पड़ोसी जिले औरंगाबाद में राइस मिल ओनर रह चुके ऋषि बताते हैं कि नोखा और उसके पांच-सात किमी के दायरे में कभी दो-ढाई सौ राइस मिलें हुआ करती थीं। थीरे-धीरे ये  बंद होने लगीं। अब 40-50 बची हैं। मिलों के बंद होने का सिलसिला जंगलराज में भी जारी रहा और सुशासन काल में भी। जब ये मिलें चलती थीं तब हजारों लोगों को सीधे रोजगार मिला था। इसके अलावा बाहर के व्यापारियों के ब्रोकर थे, जो मु्ख्यत: सासाराम में रहते थे। सासाराम, डिहरी, औरंगाबाद के ट्रक ओनर्स को यहां से बंधा-बंधाया बिजनेस मिलता था। ट्रक दक्षिण बिहार (अ...

बिहार में गठबंधनों के अंतर्विरोध

बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा के भाजपा प्रेम के कारण जहां एनडीए में अंतर्विरोध की बात हो रही है, वहीं महागठबंधन में तेजस्वी यादव का नेतृत्व सभी दल स्वीकार कर रहे हैं। वहां ऐसी कोई समस्या नहीं दिखती। लेकिन महागठबंधन में शामिल दल आपस में भी एकमत या सहमत हों, ऐसा भी नहीं लगता। लेफ्ट के नेता कांग्रेस को लेकर असहज हैं तो कांग्रेस के वोटर लेफ्ट खासकर माले को लेकर। यह भी रिपोर्ट है कि राजद के कैंडिडेट सीपीआई नेता कन्हैया कुमार का प्रोग्राम अपने इलाके में नहीं करवाना चाहते,क्योंकि उन्हें सैनिकों के परिवारों का वोट खोने का भय सता रहा है। लेफ्ट के नेता यह मान रहे हैं कि कांग्रेस ने लड़-झगड़कर क्षमता से अधिक सीटें ले ली हैं। कई जगह पर कांग्रेस के पास तो लड़ाने लायक उम्मीदवार भी नहीं थे। यह बात कुछ हद तक सही भी है। बक्सर जिले की राजपुर (सु) सीट महागठबंधन में कांग्रेस के पास गई है। कांग्रेस ने यहां विश्वनाथ राम को उम्मीदवार बनाया है जो 2015 में यहां से बीजेपी के कैंडिडेट थे और एनडीए के बंटवारे में सीट जेडीयू के पास जाने के कारण खाली हो गए थे। कांग्रेस ने उन्हें दिल्ली ले जाकर पार्टी की सदस्यता दिल...

तरारी : जहां दिखता है लोजपा का भाजपा प्रेम

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लोक जनशक्ति पार्टी के चीफ चिराग पासवान ने कुछ दिनों पहले कहा था कि मैं मोदी का हनुमान हूं और जरूरत पड़ने पर वह इसे दिखा भी सकते हैं। भोजपुर जिले की तरारी विधानसभा सीट पर चिराग का मोदी और भाजपा प्रेम साफ-साफ दिखता है। एनडीए के बंटवारे में यह सीट बीजेपी के पास चली गई तो चिराग ने यहां कैंडिडेट नहीं उतारा, जबकि लोजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और चार बार के विधायक रहे सुनील पांडेय खुद यहां से चुनाव लड़ना चाहते थे। वह पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय लड़ रहे हैं। चिराग को उनका पार्टी छोड़ना मंजूर था, लेकिन भाजपा के खिलाफ कैंडिडेट देना नहीं। सुनील पांडेय आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं, लेकिन जिताऊ उम्मीदवार भी माने जाते हैं। उनके भाई हुलास पांडेय लोजपा के टिकट पर बक्सर जिले की ब्रह्मपुर सीट से लड़ रहे हैं। पिछले असेंबली इलेक्शन में जब सीपीआई एमएल ने यह सीट जीती थी तब सुनील पांडेय की पत्नी गीता पांडेय तरारी से लोजपा उम्मीदवार थीं और कांटे की लड़ाई में एमएल के सुदामा प्रसाद किसी तरह 272 वोटों से जीत सके थे। तब यह राज्य की ऐसी सीट बनी थी, जहां सबसे कम मतों से हार-जीत हुई हो। बीजेपी ने यहां कौशल कुमार विद्यार्...

सासाराम का संदेश

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब से थोड़ी देर बाद बिहार में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत सासाराम से करने जा रहे हैं, उसके गहरे राजनीतिक निहितार्थ हैं। मंच पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार की मौजूदगी भी उसी रणनीति का हिस्सा होंगे। बिहार चुनाव में यह चर्चा आम है कि जहां-जहां भाजपा के बागी लोजपा के टिकट पर मैदान में हैं, वहां-वहां भाजपा कार्यकर्ता जदयू कैंंडिडेट के बजाय लोजपा उम्मीदवार के साथ दिख रहे हैं। गृह मंत्री और भाजपा नेता अमित शाह कुछ दिन पहले कह चुके हैं कि जेडीयू ही एनडीए का हिस्सा है और नीतीश ही सरकार बनने की स्थिति में मुख्यमंत्री होंगे, भले ही बीजेपी को जदयू के मुकाबले अधिक सीटें  आएं। आज प्रधानमंत्री फिर इस ऊहापोह को खत्म करने की कोशिश करेंगे। सासाराम, शाहाबाद क्षेत्र की एक शहरी विधानसभा सीट है। 2015 में यहां से राजद के अशोक कुशवाहा भाजपा के जवाहर प्र्साद को हराकर जीते थे। अशोक कुशवाहा अब जदयू में हैं और इसी सीट से तीर छाप पर चुनाव लड़ रहे हैं। जवाहर प्रसाद के बारे में कई मीडिया रिपोर्ट्स है कि वह गठबंधन धर्म निभाते हुए अशोक कुशवाहा का साथ देने के बजाय पूरे राजनीतिक दृश्य से गाय...

नौकरी करीं सरकारी, ना त बेचलीं तरकारी

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1-बिहार विधानसभा के इस चुनाव में ऐसे बहुत सारे लोग वोट करेंगे, जो बिहार के वोटर होते हुए भी मतदान नहीं कर पाते थे। कोरोना काल में वे या तो वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं या फिर नौकरी छूटने पर घर जाकर बैठ गए हैं। उनके लिए पलायन और बेरोजगारी बड़े मुद्दे हैं। इसे भांपते हुए तेजस्वी और चिराग ही नहीं, भाजपा ने भी लाखों रोजगार की बात अपने मैनिफेस्टो में की है। तेजस्वी यादव ने जब दस लाख नौकरियों की  बात की थी, तब नीतीश कुमार ने कहा था कि इसके लिए पैसे का इंतजाम कहां से होगा? अब जब बीजेपी अपने संकल्प पत्र में 19 लाख नौकरियों की बात कह रही है तो नीतीश कुमार न सवाल पूछने लायक रहे न जवाब देने लायक। डिप्टी सीएम सुशील मोदी भी अब यह ट्वीट कर रहे हैं कि उनकी पार्टी ने पांच साल में 19 लाख जॉब की बात कही है। इसमें पांच लाख आईटी सेक्टर में, एक लाख हेल्थ सेक्टर में, 10 लाख एग्रीकल्चर सेक्टर में, तीन लाख एजुकेशन सेक्टर में होगा। राजद पहले ही दिन दस लाख जॉब देने की बात कह रहा है जिसके लिए वह पैसे कहां से लाएगा? 2-सारण की परसा विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जनसभा में हूटिंग होने पर आपा खो बैठे।...

शाहाबाद किसे करेगा आबाद? (चुनावी चकल्लस)

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गुप्ता धाम जाने में फोटो क्लिक की बक्सर सोहनी पट्टी निवासी रंजन कुमार ने बिहार का शाहाबाद, जहां कैमूर की सुरम्य और दुर्गम पहाड़ियां भी हैं और गंगा और सोन के ऊपजाऊ मैदानी इलाके भी। यहां दुर्गावती भी बहती है और कर्मनाशा भी। कथाएं बताती हैं कि यहां  के गुप्ताधाम में भस्मासुर से बचने के लिए कभी शिव छिपे थे तो स्थानीय लोगों के मुताबिक, बगल का रोहतासगढ़ कभी नक्सलियों के छिपने का ठिकाना बना हुआ था। गुप्ता धाम जहां चैत और सावन में बहुत सारे शिवभक्त जाते हैं। जयपुर में जयगढ़ और नाहरगढ़ का किला देखने जाने वाले कभी रोहतासगढ़ के किले की जानकारी लेते नहीं दिखते, जो भारत का सबसे प्राचीन और भव्य किला माना जाता है। बंजारी सीमेंट यहीं का प्रॉडक्ट है। डालमियानगर इसी क्षेत्र का हिस्सा है। जिस तरह एमपी के चंबल, भिंड, मुरैना में लोग बीहड़ में जाकर बागी बन जाते थे, उसी तरह समाज और सिस्टम से निराश और हताश लोग कभी कैमूर पहाड़ी पर चले जाते थे और वहां या तो खुद का गैंग बनाते थे या किसी डकैत गैंग में शामिल हो जाते थे। मीलों लंबाई और चौड़ाई में फैली पहाड़ी जो आज तक पर्यटक स्थल नह...

रामगढ़ : जीत या हार, जगता बाबू जिम्मेदार

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बक्सर लोकसभा सीट के तहत एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है, रामगढ़। यूपी के सीएम योगी आदित्यचनाथ ने इसी सीट से बिहार में अपने चुनवाी कैंपेन की शुरुआत मंगलवार यानी आज दोपहर से की। यह बक्सर की इकलौती सीट है जो बीजेपी के पास है। अशोक कुमार सिंह यहां से विधायक हैं जिन्होंने पिछली बार राजद के अंबिका सिंह को परास्त किया था। बसपा के पप्पू सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे। रामगढ़ का चुनावी परिदृश्य समझने के लिए 2010 के विधानसभा चुनाव के दौर में चलना पड़ेगा। 2010 में यहां बीजेपी के कैंडिडेट सुधाकर सिंह थे, जो राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह के बेटे हैं और फिलहाल रामगढ़ से ही राजद के कैंडिडेट भी। 2010 में जब वह मैदान में थे तब जगतानंद सिंह ने उनके खिलाफ राजद के तत्कालीन प्रत्याशी अंबिका सिंह का प्रचार किया था।  अंबिका सिंह चुनाव जीते थे, निर्दलीय अशोक सिंह दूसरे और बीजेपी के सुधाकर सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे।  इससे इस सीट पर जगतानंद सिंह के प्रभाव को समझा जा सकता है। जगतानंद सिंह यहां से हर चुनाव जीते हैं, भले ही वह लोकदल के उम्मीदवार हों या जनता दल के अथवा राष्ट्रीय जनता दल के।   ...

राजपुर : फिर निशाने पर लगेगा तीर?

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बक्सर जिले की सुरक्षित विधानसभा सीट, जो आमतौर पर समीक्षकों व विश्लेषकों की दिलचस्पी का केंद्र नहीं है। इस बार यह सीट चर्चित है क्योंकि यहां जेडीयू की प्रतिष्ठा फंसी है। जेडीयू यहां हैट्रिक लगा चुका है और यहां से उसने फिर अपने परिवहन मंत्री संतोष निराला को उम्मीदवार बनाया है। उनके सामने हैं महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस उम्मीदवार विश्वनाथ राम जो  पिछले चुनाव में यहां से भाजपा प्रत्याशी थे। तब जेडीयू और राजद का गठबंधन बीजेपी के सामने था। इस बार बंटवारे में यह सीट जेडीयू के हिस्से में चली गई तो वि‌श्वनाथ राम ने नॉमिनेशन के दौरान दिल्ली जाकर कांग्रेस जॉइन की और उम्मीदवार बन गए। यानी महागठबंधन के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं था जिसे वह यहां से उतार सके। कांग्रेस प्रत्याशी विश्वनाथ राम ने 11 अक्टूबर को जेपी जयंती पर उन्हें नमन किया है। उन्होंने जेपी को स्वतंत्रता सेनानी बताया लेकिन उस फेसबुक पोस्ट में इमरजेसी का जिक्र नहीं किया है। पोस्टर पर जेपी के साथ-साथ सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियका गांधी के भी फोटो हैं। कांग्रेस पार्टी का सिंबल भी जेपी के फोटो के साथ दिख रहा है। यह एक दुर्लभ संयोग ह...

डुमरांव का नारा, टारगेट पर दिनारा

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आज दोपहर में बक्सर जिले के डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक चुनावी सभा में कहा कि स्थानीय प्रत्याशी सिर्फ जदयू या नीतीश कुमार की प्रत्याशी नहीं हैं। वह भाजपा की भी प्रत्याशी हैं और नरेंद्र मोदी की भी। हम की भी प्रत्याशी हैं और वीआईपी की भी। सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी थे। यह सभा नावानगर में हुई जिससे थोड़ा आगे मलियाबाग है और वहां से दिनारा जाया जा सकता है। सुशील मोदी को उम्मीद रही होगी कि उनकी नावानगर में कही गई बात दिनारा तक जरूर पहुंच जाएगी। इससे एक दिन पहले अमित शाह ने भी कहा था कि भाजपा की जदयू से अधिक सीटें आईं तब भी सीएम नीतीश कुमार ही बनेंगे। उन्होंने साफ किया कि चिराग पासवान और लोजपा एनडीए के हिस्सा नहीं हैं। सवाल यह है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को यह बार-बार क्यों कहना पड़ रहा है? बड़े नेता जो भी कह रहे हैं, क्या वह सन्देश नीचे तक नहीं जा रहा? क्या भाजपा के कार्यकर्ता जो बरसों से यह सवाल कर रहे थे कि बीजेपी अपना नुकसान कर नीतीश कुमार को क्यों आगे बढ़ा रही है, क्या उनके हिसाब से इसके उत्तर का समय आ रहा है? इस सवाल का जवाब समझने के लिए बक्सर ...

बक्सर : हॉट सीट का तमगा लुटा

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बक्सर-पटना हाइवै फोर लेन हो रहा है और क्षितिज पर उम्मीद का सूरज चमक रहा है। फोटो : रजनीकांत चौबे बक्सर सोहनी पट्टी निवासी पंडित अशर्फी उपाध्याय की 1948 में एक पुस्तक प्रकाशित हुई थी ‘विलक्षण उपन्यास’। दस आने (साढ़े 62 पैसे) की इस किताब में वह लिखते हैं कि बक्सर एक विलक्षण शहर है। यहां कभी-कभी महाजन दान देते हैं तो आचरण हीन और खुशामदी ब्राह्मणों को ही देते हैं। पीठ की रगड़ से जो खटमल मारते हैं और थप्पड़ से मच्छर, वे खुद को पहलवान मानते हैं। हिंदू लोग मुर्गी का अंडा खाते हैं, लेकिन मुर्गी नहीं पालते। उन्होंने भले ही यह बात किसी और संदर्भ में लिखी हो लेकिन विलक्षण बात यहां चुनावों में भी दिखती है। यहां इंटरनैशनल स्तर पर चर्चित और करीब-करीब कन्फर्म हो चुके शख्स का टिकट कट जाता है। ढाई-तीन दशक से चुनाव लड़ रहे एनसीपी कैंडिडेट विशेश्वर पांडेय का पर्चा गलत या अपूर्ण भरे होने की वजह से रिजेक्ट हो जाता है और परशुराम व राम यहां के चुनावी रण क्षेत्र में आमने-सामने खड़े दिखते हैं। संयोग यह कि दोनों की जाति भी वही है, जो त्रेता में थी। आज बात बक्सर विधानसभा सीट की। चुनाव की घोषणा होने के साथ ही बक्...

डुमरांव : क्रॉसिंग वाले दोराहे पर खड़े हैं वोटर

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बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आज बात करते हैं बक्सर जिले की महत्वपूर्ण सीट डुमरांव की। छठिया पोखरा और डुमरेजिन माई वाले इस शहर की। पिछले परिसीमन में इसकी कई पंचायतें मठिला, अटांव आदि राजपुर रिजर्व क्षेत्र में जा चुकी हैं। डुमरांव रेलवे स्टेशन की पश्चिमी गुमटी (वेस्टर्न क्रॉसिंग) से दो रास्ते उत्तर की ओर जाते हैं। एक भोजपुर चौरस्ता (चौराहे) पर पहुंचता है और दूसरा नया भोजपुर, जहां कई दशक से डुमरांव का पूर्व राज परिवार किलेनुमा मकान में रहता है। यद्यपि ये दोनों रास्ते उसी रोड में मिलते हैं जहां से राइट टर्न लेकर पटना (विधानसभा) पहुंचा जा सकता है। इसी दोराहे पर फिलहाल खड़े हैं एनडीए के वोटर। भाजपा के भी और जदयू के भी और सोच रहे हैं कि कौन सा टर्न राइट (उचित) होगा? एक हद तक राजद के वोटर भी इसी दोराहे पर हैं। पुराने लोग बताते हैं कि नया भोजपुर जानेे वाले रास्ते पर पहले एक बोर्ड लगा था, जिसपर लिखा था कि यह आम रास्ता नहीं है। लेकिन अब इस रास्ते का इस्तेमाल सभी करते हैं। डुमरांव का राजगढ़ डुमरांव जिले की इकलौती ऐसी सीट है, जहां से सिटिंग एमएलए का टिकट कटा है। यहां से ददन यादव निवर्तमान विधायक ह...

बाबूजी मैं ही माधो सिंह हूं'

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आप जेपी को जानते हैं? लेकिन किस रूप में? 1974 की संपूर्ण क्रांति के नायक के रूप में या 1942 के आंदोलनकारी और हजारीबाग जेल से दिवाली की रात भागने वाले क्रांतिकारी के रूप में? इसके अलावा जेपी का एक और रूप है, दस्युओं या बागियों को सरेंडर करवाने वाला। जेपी के अनुयायी रहे और उस दौरान संघर्ष वाहिनी में होल टाइमर रहे श्रीनिवास जी के मुताबिक, जेपी के इस व्यक्तित्व का उचित मूल्यांकन नहीं हो पाया है। उनके मुताबिक, यह बहुप्रचारित बात है. 1970-71 में कभी जेपी के कदमकुआं, पटना स्थित मकान में चलने वाली चर्खा समिति में राम सिंह नामक शख्स करीब महीने भर रहा था। राम सिंह ने बताया था कि वह चंबल मे ठेकेदार हैं और वहां के कई दस्यु सरेंडर करना चाहते हैं। जेपी ने उनसे कहा कि आप  विनोबा के पास जाओ तो राम सिंह ने कहा कि विनोबा ने ही उनके पास भेजा है। बाद में एक दिन उस शख्स ने जेपी से कहा कि बाबूजी, मैं माधो सिंह हूं। यानी उस वक्त डेढ़ लाख का इनामी बागी। श्रीनिवास जी तब दिनमान में छपी एक रिपोर्ट का भी जिक्र करते हैं। चंबल के इलाके में सर्वोदय कार्यकर्ता सुब्बा राव के नेतृत्व में बागियों से सरेंडर की बातचीत...

कैसे श्रद्धांजलि दी जाए आपको?

आपको श्रद्धांजलि दे रहे लोगों का ध्यान उन मीडिया रिपोर्ट्स पर जरूर गया होगा, जिसमें आपकी पहली पत्नी आपके नहीं रहने पर रो-रोकर बेसुध हो रही है। वह पत्नी जिसके साथ 20-21 साल गुजारने के बाद आपने तलाक दे दिया था। फिर आपने दूसरी शादी की थी। वह महिला जो 13 साल की उम्र में आपकी पत्नी बनी थी, उसका क्या दोष था? वह पढ़ी-लिखी नहीं थी, आकर्षक नहीं थी, हाई क्लास सोसाइटी में आपके साथ जाने लायक नहीं थी? वैसे विद्वता, स्मार्टनेस और सुंदरता की कोई बाउंड्री लाइन तो होती नहीं। कोई ऐसी सीमा रेखा है क्या, जिसके आगे उससे अधिक सुंदरता, विद्वता और स्मार्टनेस न हो। आपके बारे में कहा जा रहा है कि आपने चौराहे पर 150 रुपये के लिए पिटती दलित महिला को बचाकर राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया था, लेकिन अपनी पत्नी के साथ आपका यह व्यवहार क्यों रहा, उसका तिरस्कार क्यों? उस महिला को तो आप ब्याह कर लाए थे। बाजा बजा होगा, बाराती गए होंगे, कोहबर की दीवार पर आपके ससुराल के टोले की किसी पढ़ी-लिखी महिला या युवती ने ‘अचल रहे अहिवात तुम्हारा’ लिखा होगा। भावनाओं के साथ इतना खिलवाड़ क्यों? आपको श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा जा रहा ह...

किस पर कृपा करेंगे ब्रह्मेश्वर नाथ?

बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ सबकी मनोकामना पूरी करते हैं। बक्सर जिले के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्र ब्रह्मपुर में यह कहावत आम है। लेकिन चुनाव में तो बाबा सबको जीत दिला नहीं देंगे, जीतेगा तो कोई एक ही। हालांकि चुनाव विश्लेषकों की इच्छा बाबा जरूर पूरी कर देंगे। समीक्षकों के लिए बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कोई माकूल लैब है तो वह है ब्रह्मपुर, जहां वे तमाम एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं और दूसरे-तीसरे चरण के चुनाव के लिए इसका सैम्पल के तौर पर इस्तेमाल भी। आज बात ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र की। राजद ने यह सीट अपने निवर्तमान विधायक शंभू यादव को दी है। राजद को अपने कैडर वोटों और प्रत्याशी के पर्सनल रिलेशन का सहारा है। 2015 के औऱ इस चुनाव में हालात जस के तस हैं। शंभू यादव को बस उन्हें मेंटेन रखना है। इस चुनाव में भाजपा ने अपने हिस्से आई यह सीट मुकेश सहनी की वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) को दी है और सन ऑफ मल्लाह की पार्टी से जयराज चौधरी मैदान में हैं। चुनावी वैतरणी पार करने के लिए ये अपनी जाति और भाजपा के वोटों के सहारे हैं। इसी जाति के अजीत चौधरी जद और राजद के टिकट पर यहां से तीन बार विधायक बन चु...