नोखा के साथ अनोखा खेल
फोटो - गूगल से कहा जाता है कि सोनाचुर चावल का खेत भी गमकता है और पकने के बाद इसकी खुशबू से मन भी तृप्त हो जाता है। बिहार के रोहतास जिले की चुनावी सभा में शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने कैमूर के सोनाचुर चावल का जिक्र किया। प्रधानमंत्री का यह भाषण लाइव सुनने के लिए नोखा बस स्टैंड के पास बने एनडीए के चुनावी दफ्तर पर मूवेबल स्क्रीन लगाई गई थी।प्रधानमंत्री जहां इस सभा को संबोधित कर रहे थे, वहां से थोड़ी दूर ही है नोखा विधानसभा क्षेत्र।नोखा कभी जाना जाता था अपने राइस मिलों के कारण। पड़ोसी जिले औरंगाबाद में राइस मिल ओनर रह चुके ऋषि बताते हैं कि नोखा और उसके पांच-सात किमी के दायरे में कभी दो-ढाई सौ राइस मिलें हुआ करती थीं। थीरे-धीरे ये बंद होने लगीं। अब 40-50 बची हैं। मिलों के बंद होने का सिलसिला जंगलराज में भी जारी रहा और सुशासन काल में भी। जब ये मिलें चलती थीं तब हजारों लोगों को सीधे रोजगार मिला था। इसके अलावा बाहर के व्यापारियों के ब्रोकर थे, जो मु्ख्यत: सासाराम में रहते थे। सासाराम, डिहरी, औरंगाबाद के ट्रक ओनर्स को यहां से बंधा-बंधाया बिजनेस मिलता था। ट्रक दक्षिण बिहार (अब झारखंड) के साथ ही पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा तक चावल लेकर जाते थे। फिलहाल इस सीट पर आरजेडी की अनीता देवी का कब्जा है। बीजेपी के रामेश्वर चौरसिया यहां से चार बार विधायक बन चुके हैं और इस बार सीट जेडीयू के खाते में जाने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल होकर सासाराम से चुनाव लड़ रहे हैं। जेडीयू ने यहां से नागेंद्र चंद्रवंशी को उतारा है।इसी जिले की दिनारा सीट पर लोजपा के टिकट पर लड़ रहे पूर्व भाजपा नेता राजेंद्र सिंह जब इलाके को धान का कटोरा बताते हुए किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की बात करते हैं तो यह सवाल उठता है कि कृषि आधारित यह उद्योग इस हालत में क्यों पहुंचा? जानकार बताते हैं कि नई टेक्नॉलजी की दौड़ में यहां के राइस मिल पिछड़ गए। बैंकों का व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण नहींं था। जिनका टर्नओवर करोड़ों में था, उन्हें भी कुछ लाख का लोन आसानी से नहीं मिलता था। पॉलिसिंग जैसे उपकरण नहीं लग पाए और क्वालिटी मेंटेन नहीं रह सकी। नतीजतन धीरे-धीरे नोखा का यह रुतबा छिनने लगा।जब यह सब हो रहा था तब जनप्रतिनिधि क्या कर रहे थे? यह सवाल यहां की निवर्तमान विधायक राजद की अनीता देवी से भी होना चाहिए क्योंकि उनके पहले उनके पति और ससुर भी विधानसभा पहुंच चुके हैं। साथ ही यह सवाल बीजेपी (अब लोजपा) नेता रामेश्वर चौरसिया से भी होना चाहिए जो यहां से चार बार जीत चुके हैं। शनिवार को नासरीगंज में आयोजित चुनावी सभा में असदुद्दीन ओवैसी ने जरूर यह मुद्दा उठाया कि नोखा की राइस मिलों को खोलने की बात कोई क्यों नहीं कर रहा? बेशक भाजपा और कांग्रेस गलवान घाटी के मोर्चे पर बिहारी की लड़ाई लड़ रहे हों लेकिन लोकल लोगों को अपने और अपने बच्चों के लिए वोकल होना ही पड़ेगा।
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