सॉरी बाबू (साहब) : चुनावी दंगल की क्लियर होने लगी पिक्चर

बक्सर में सत्ता के लिए लड़ाई 23 अक्टूबर
1764 को लड़ी गई थी। शाहाबाद की इस बार की
लड़ाई (वोटिंग) 28 अक्टूबर को लड़ी जाएगी।
फोटो गूगल से 
चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले तक लड़ाई चीन के मोर्चे पर लड़ी गई, सरकारी नौकरियों और रोजगार के लिए लड़ी गई, पलायन के मसले पर लड़ी गई लेकिन आज शाम होते-होते जिस बयान ने सबसे अधिक जोर पकड़ा, वहा तेजस्वी यादव का था। शाहाबाद क्षेत्र में ही एक चुनावी रैली में तेजस्वी ने कहा कि लालूजी के समय में गरीब लोग बाबू साहेब के सामने सीना तानकर चलते थे। इस बयान के बाद राजद के अधिकतर उम्मीदवारों पर तो असर नहीं पड़ रहा, लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी खुद को फंसा हुआ पा रहे हैं। उधर, नीतीश कुमार ने चुनावी सभा में कहा कि, ‘कुछ लोगों को बेटियों पर तो यकीन ही नहीं था। बेटों की उम्मीद में छह-छह, सात-सात बेटियां पैदा कर दिए‘। चर्चा है कि ऐसे बयान वोटिंग के टर्निंग पॉइंट साबित हो सकते हैं।

प्रचार का दौर खत्म होने के साथ ही शाहाबाद क्षेत्र की 22 विधानसभा सीटों पर स्थिति धीरे-धीरे साफ होने लगी है। जिन सीटों पर एनडीए की ओर से बीजेपी का उम्मीदवार है, वहां लड़ाई-आमने सामने की दिख रही है। इसके विपरीत जहां एनडीए की ओर से जदयू का उम्मीदवार है या बीजेपी के बजाय वीआईपी का, वहां लड़ाई त्रिकोणीय लग रही है। इसके बीच तरारी ऐसी सीट है जहां बीजेपी कैंडिडेट है लेकिन निर्दलीय सुनील पांडेय इसे त्रिकोणीय बना रहे हैं। बक्सर जिले की ब्रह्मपुर सीट जहां वीआईपी है वहां लोजपा ने अपना उम्मीदवार उतारा है और वहां भी लड़ाई के तीन कोण बन रहे हैं। साथ ही डुमरांव जैसी सीट भी है, जहां मुकाबले में निर्दलीय ददन यादव (सिटिंग एमएलए), भाकपा माले, लोजपा और जदयू मिलकर चार कोण बना रहे हैं। रामगढ़ सीट से बीजेपी के अशोक सिंह हैं लेकिन यहां बसपा के अंबिका सिंह यादव मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। यहां राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह राजद उम्मीदवार हैं। भोजपुर जिले की शाहपुर सीट पर राजद और बीजेपी आमने-सामने  हैं, लेकिन यहां देवरानी और जेठानी भी लड़ाई में हैं। भाजपा की मुन्नी देवी देवरानी हैं और निर्दलीय लड़ रहीं शोभा देवी उनकी जेठानी। शोभा देवी बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे विशेश्वर ओझा की पत्नी हैं। विशेश्वर ओझा यहां 2015 में भाजपा कैंडिडेट थे और चुनाव हार गए थे। 2016 में उनकी हत्या कर दी गई थी। विशेश्वर ओझा पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। शाहाबाद में सबसे अधिक 13 सीटों पर राजद के कैंडिडेट हैं जबकि 11 पर बीजेपी के। जेडीयू ने 10 उम्मीदवार उतारे हैं, सीपीआई एमएल ने पांच और कांग्रेस ने चार सीटों पर। एक सीट पर वीआईपी का उम्मीदवार है। एक रोचक तथ्य यह है कि बक्सर जिले की किसी सीट से से अभी तक माले का कैंडिडेट नहीं जीता है। बक्सर और भोजपुर जिले में 2015 में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था, जबकि कैमूर जिले की चारों सीटें भारतीय जनता पार्टी ने जीती थी। यहां 28 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। 


शाहाबाद इलाके के 22 विधानसभा क्षेत्र

1-रोहतास जिला
-सासाराम
-डेहरी
-नोखा
-दिनारा
-काराकाट
-करगहर
-चेनारी (सु)

2-कैमूर जिला
-रामगढ़
-मोहनिया (सु)
-भभुआ
-चैनपुर

3-बक्सर जिला
-राजपुर (सु)
-बक्सर
-डुमरांव
-ब्रह्मपुर

4-भोजपुर जिला
-आरा
-संदेश
-अगिआंव (सु)
-बड़हरा
-तरारी
-जगदीशपुर
-शाहपुर

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