कैसे श्रद्धांजलि दी जाए आपको?
आपको श्रद्धांजलि दे रहे लोगों का ध्यान उन मीडिया रिपोर्ट्स पर जरूर गया होगा, जिसमें आपकी पहली पत्नी आपके नहीं रहने पर रो-रोकर बेसुध हो रही है। वह पत्नी जिसके साथ 20-21 साल गुजारने के बाद आपने तलाक दे दिया था। फिर आपने दूसरी शादी की थी। वह महिला जो 13 साल की उम्र में आपकी पत्नी बनी थी, उसका क्या दोष था? वह पढ़ी-लिखी नहीं थी, आकर्षक नहीं थी, हाई क्लास सोसाइटी में आपके साथ जाने लायक नहीं थी? वैसे विद्वता, स्मार्टनेस और सुंदरता की कोई बाउंड्री लाइन तो होती नहीं। कोई ऐसी सीमा रेखा है क्या, जिसके आगे उससे अधिक सुंदरता, विद्वता और स्मार्टनेस न हो। आपके बारे में कहा जा रहा है कि आपने चौराहे पर 150 रुपये के लिए पिटती दलित महिला को बचाकर राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया था, लेकिन अपनी पत्नी के साथ आपका यह व्यवहार क्यों रहा, उसका तिरस्कार क्यों? उस महिला को तो आप ब्याह कर लाए थे। बाजा बजा होगा, बाराती गए होंगे, कोहबर की दीवार पर आपके ससुराल के टोले की किसी पढ़ी-लिखी महिला या युवती ने ‘अचल रहे अहिवात तुम्हारा’ लिखा होगा। भावनाओं के साथ इतना खिलवाड़ क्यों?
Comments