डुमरांव का नारा, टारगेट पर दिनारा
आज दोपहर में बक्सर जिले के डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक चुनावी सभा में कहा कि स्थानीय प्रत्याशी सिर्फ जदयू या नीतीश कुमार की प्रत्याशी नहीं हैं। वह भाजपा की भी प्रत्याशी हैं और नरेंद्र मोदी की भी। हम की भी प्रत्याशी हैं और वीआईपी की भी। सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी थे। यह सभा नावानगर में हुई जिससे थोड़ा आगे मलियाबाग है और वहां से दिनारा जाया जा सकता है। सुशील मोदी को उम्मीद रही होगी कि उनकी नावानगर में कही गई बात दिनारा तक जरूर पहुंच जाएगी।
इससे एक दिन पहले अमित शाह ने भी कहा था कि भाजपा की जदयू से अधिक सीटें आईं तब भी सीएम नीतीश कुमार ही बनेंगे। उन्होंने साफ किया कि चिराग पासवान और लोजपा एनडीए के हिस्सा नहीं हैं।
सवाल यह है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को यह बार-बार क्यों कहना पड़ रहा है? बड़े नेता जो भी कह रहे हैं, क्या वह सन्देश नीचे तक नहीं जा रहा? क्या भाजपा के कार्यकर्ता जो बरसों से यह सवाल कर रहे थे कि बीजेपी अपना नुकसान कर नीतीश कुमार को क्यों आगे बढ़ा रही है, क्या उनके हिसाब से इसके उत्तर का समय आ रहा है?
इस सवाल का जवाब समझने के लिए बक्सर लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली दिनारा विधानसभा सीट पर चलना होगा। दिनारा सीट जदयू के पास है और यहां से उसने निवर्तमान विधायक और राज्य के विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री जय कुमार सिंह को फिर उम्मीदवार बनाया है। जय कुमार ने पिछले चुनाव में बीजेपी के राजेन्द्र सिंह को ढाई हजार से अधिक वोटों से हराया था। सीट जदयू के खाते में चली गई तो राजेन्द्र सिंह, जो करीब 4 दशक से बीजेपी से जुड़े थे, लोजपा के टिकट पर मैदान में उतर गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि वहां बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ता ही नहीं, आरएसएस के लोग भी राजेन्द्र सिंह के समर्थन में हैं। वे जयकुमार सिंह के बजाय राजेन्द्र सिंह के लिए कैंपेनिंग कर रहे हैं। खुद राजेन्द्र सिंह भी कह चुके हैं कि भाजपा तो उनके खून में है और वह जनता के दबाव में चुनाव लड़ रहे हैं। डुमरांव में तो हालत यह है कि भाजपा ही नहीं राजद के वोटर भी दोराहे पर खड़े हैं।
क्या यह दृश्य चुनाव बाद किसी सम्भावित समीकरण का भी आभास दे रहा है, बड़े नेता चाहे कुछ कहते रहें। राजनीति में दोस्ती या दुश्मनी कुछ भी स्थायी तो होती नहीं। बाकी जैसी भलुनी भवानी की इच्छा।
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