किस पर कृपा करेंगे ब्रह्मेश्वर नाथ?
बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ सबकी मनोकामना पूरी करते हैं। बक्सर जिले के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्र ब्रह्मपुर में यह कहावत आम है। लेकिन चुनाव में तो बाबा सबको जीत दिला नहीं देंगे, जीतेगा तो कोई एक ही। हालांकि चुनाव विश्लेषकों की इच्छा बाबा जरूर पूरी कर देंगे। समीक्षकों के लिए बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कोई माकूल लैब है तो वह है ब्रह्मपुर, जहां वे तमाम एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं और दूसरे-तीसरे चरण के चुनाव के लिए इसका सैम्पल के तौर पर इस्तेमाल भी। आज बात ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र की।
राजद ने यह सीट अपने निवर्तमान विधायक शंभू यादव को दी है। राजद को अपने कैडर वोटों और प्रत्याशी के पर्सनल रिलेशन का सहारा है। 2015 के औऱ इस चुनाव में हालात जस के तस हैं। शंभू यादव को बस उन्हें मेंटेन रखना है।
इस चुनाव में भाजपा ने अपने हिस्से आई यह सीट मुकेश सहनी की वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) को दी है और सन ऑफ मल्लाह की पार्टी से जयराज चौधरी मैदान में हैं। चुनावी वैतरणी पार करने के लिए ये अपनी जाति और भाजपा के वोटों के सहारे हैं। इसी जाति के अजीत चौधरी जद और राजद के टिकट पर यहां से तीन बार विधायक बन चुके हैं। उनके सामने बीजेपी और कांग्रेस भूमिहार कैंडिडेट उतार देती थीं और अजीत आसानी से जीत जाते थे, अपनी जाति के और यादव वोट लेकर। ऐसे ही करिश्मे की उम्मीद यहां बीजेपी और वीआईपी को है।
लेकिन बीजेपी की इस योजना के आड़े आ सकते हैं हुलास पांडेय जो भूमिहार जाति के हैं और लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। हुलास पांडे एमएलसी भी रह चुके हैं। वह चर्चित सुनील पांडेय के भाई हैं। सुनील पांडेय भी लोजपा में थे लेकिन आरा की तरारी सीट बीजेपी के खाते में जाने और पार्टी द्वारा वहां कैंडिडेट नहीं दिए जाने से लोजपा छोड़ चुके हैं और निर्दलीय मैदान में हैं। एनडीए ने बक्सर लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली छह विधानसभा सीटों में से किसी पर भूमिहार कैंडिडेट नहीं उतारा है। इस चर्चा ने अगर जोर पकड़ लिया तो एनडीए मुश्किल में पड़ सकता है।
यह जिले की इकलौती सीट है, जहां से भोजपुरी के बड़े गायकों में शुमार भरत शर्मा जैसे सिलेब्रिटी निर्दलीय मैदान में हैं। जाने-पहचाने चेहरे हैं और किसी का भी गणित गड़बड़ा सकते हैं। कहा जा रहा है कि अपनी पत्नी के सहारे वे सिमरी की प्रखंड राजनीति में पहले ही उतर चुके हैं। अपने कोर वोटों के सहारे बसपा का हाथी कितनी भगदड़ मचा पाता है, यह देखना भी समीक्षकों के लिए दिलचस्प रहेगा।
वैसे तो जिले की तीनों सीटों के मुकाबले सबसे कम उम्मीदवारों ने यहां से पर्चा भरा है, लेकिन रोचकता का तड़का यहां भरपूर रहेगा।
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