रामगढ़ : जीत या हार, जगता बाबू जिम्मेदार

बक्सर लोकसभा सीट के तहत एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है, रामगढ़। यूपी के सीएम योगी आदित्यचनाथ ने इसी सीट से बिहार में अपने चुनवाी कैंपेन की शुरुआत मंगलवार यानी आज दोपहर से की। यह बक्सर की इकलौती सीट है जो बीजेपी के पास है। अशोक कुमार सिंह यहां से विधायक हैं जिन्होंने पिछली बार राजद के अंबिका सिंह को परास्त किया था। बसपा के पप्पू सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे।

रामगढ़ का चुनावी परिदृश्य समझने के लिए 2010 के विधानसभा चुनाव के दौर में चलना पड़ेगा। 2010 में यहां बीजेपी के कैंडिडेट सुधाकर सिंह थे, जो राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह के बेटे हैं और फिलहाल रामगढ़ से ही राजद के कैंडिडेट भी। 2010 में जब वह मैदान में थे तब जगतानंद सिंह ने उनके खिलाफ राजद के तत्कालीन प्रत्याशी अंबिका सिंह का प्रचार किया था।  अंबिका सिंह चुनाव जीते थे, निर्दलीय अशोक सिंह दूसरे और बीजेपी के सुधाकर सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे।  इससे इस सीट पर जगतानंद सिंह के प्रभाव को समझा जा सकता है। जगतानंद सिंह यहां से हर चुनाव जीते हैं, भले ही वह लोकदल के उम्मीदवार हों या जनता दल के अथवा राष्ट्रीय जनता दल के। 
 
पिछले चुनाव में जो राजद प्रत्याशी थे वह अंबिका सिंह इस बार बसपा के टिकट पर मैदान में हैं। विधानसभा की यह सीट ही नहीं, पूरा कैमूर जिला यूपी से सटा हुआ है और बनारस तो रोजाना का आना-जाना है। यही वजह रही कि योगी ने अपने भाषण में मजदूरों के पलायन और उस दौरान यूपी सरकार द्वारा की गई मदद का प्रमुखता से उल्लेख किया। इसके साथ ही राजद के दौर का जिक्र करते हुए कहा कि उस दौरान बिहार के लोगों को पहचान छिपाकर रहनी पड़ती थी। 

इस सीट पर राजद के जाति पर आधारित वोट बसपा को भी जा सकते हैं क्योंकि बसपा उम्मीदवार पहले यहां राजद के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। इसलिए बीएसपी प्रत्याशी जितनी मजबूती से लड़ेगा, वह बीजेपी के पक्ष में जाएगा। दूसरी तरफ राजपूत वोट अधिक से अधिक लिया जा सके, इसलिए योगी की सभा के दो दिनों के अंदर 22 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की सभा भी इस सीट पर होनी है। एससी आबादी भी बड़ी संख्या में हैं, इसलिए त्रिकोणीय मुकाबला तय माना जा रहा है।

जगतानंद सिंह का इस सीट पर प्रभाव है और 2005 में विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद 2009 में उन्होंने बक्सर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और वहां भी जीते थे। 2010 में जब रामगढ़ में सुधाकर सिंह की बुरी गत हुई तब यही कहा गया कि जगतानंद सिंह ने अपने  बेटे को हरवा दिया। यह धारणा रामगढ़ में अभी तक है, इसलिए राजद यह सीट दोबारा पाता है या नहीं, सबके जिम्मेदार जगता बाबू के नाम से चर्चित जगतानंद सिंह ही होंगे।

Comments

Popular posts from this blog

सुतल पिया के जगावे हो रामा, तोर मीठी बोलिया

ऐसे सभी टीचर्स को नमन

आज कथा इतनी भयो